भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 से 100 (हिंदी में संक्षेप)
भाग 1 – संघ और उसका राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 1 से 4)
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अनुच्छेद 1 – भारत अर्थात भारत राज्यों का संघ होगा।*
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अनुच्छेद 2 – संसद नए राज्यों को संघ में प्रवेश करा सकती है।*
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अनुच्छेद 3 – संसद राज्यों का निर्माण/सीमा परिवर्तन कर सकती है।*
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अनुच्छेद 4 – अनुच्छेद 2 व 3 के अंतर्गत बनाए गए कानून संविधान संशोधन माने जाएंगे।*
भाग 2 – नागरिकता (अनुच्छेद 5 से 11)
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अनुच्छेद 5 – संविधान प्रारंभ के समय नागरिकता।*
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अनुच्छेद 6 – पाकिस्तान से आए कुछ लोगों को नागरिकता।
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अनुच्छेद 7 – पाकिस्तान गए लोगों की नागरिकता।
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अनुच्छेद 8 – विदेशों में रहने वाले भारतीयों की नागरिकता।*
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अनुच्छेद 9 – दोहरी नागरिकता निषिद्ध।*
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अनुच्छेद 10 – नागरिकता का अधिकार निरंतर बना रहेगा।*
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अनुच्छेद 11 – संसद को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का अधिकार।*
भाग 3 – मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12 से 35)
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अनुच्छेद 12 – राज्य की परिभाषा।*
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अनुच्छेद 13 – मौलिक अधिकारों के विपरीत कानून अमान्य।*
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अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार।*
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अनुच्छेद 15 – भारत के संविधान में मूल अधिकारों (Fundamental Rights) का हिस्सा है। इसका उद्देश्य समाज में भेदभाव (Discrimination) को रोकना और समानता सुनिश्चित करना है।
इस अनुच्छेद में कहा गया है:
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राज्य (सरकार) किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान,नस्ल या इनमें से किसी आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती।
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सार्वजनिक स्थलों – जैसे दुकानें, होटल, सार्वजनिक कुएं, तालाब, सड़कें आदि – सभी नागरिकों के लिए खुले होंगे, बिना किसी भेदभाव के।
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महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान बनाए जा सकते हैं ताकि उनकी सुरक्षा और विकास सुनिश्चित हो।
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समाज के पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), या अन्य विशेष वर्गों के लिए शिक्षा, रोजगार आदि में विशेष सहायता प्रदान की जा सकती है ताकि वे आगे बढ़ सकें।
महत्त्व
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यह अनुच्छेद समाज में समान अवसर देने के लिए बनाया गया है।
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महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों के उत्थान में मदद करता है।
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भेदभाव को रोककर सामाजिक न्याय और समरसता को बढ़ावा देता है।
संक्षिप्त रूप में:
“भारत का अनुच्छेद 15 कहता है कि किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा, और जरूरतमंद वर्गों के लिए विशेष सहायता दी जा सकती है।”
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अनुच्छेद 16 – समान अवसर (सरकारी नौकरी में)।*
अनुच्छेद 16 भारतीय नागरिकों को सरकारी रोजगार में समान अवसर प्रदान करता है और कुछ विशेष वर्गों के लिए आरक्षण व संरक्षण का प्रावधान भी देता है। इसमें कुल 7 उपखंड (clauses) हैं, जिन्हें नीचे समझिए:
अनुच्छेद 16(1): समान अवसर का अधिकार
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सभी नागरिकों को सरकारी नौकरियों में समान अवसर मिलेगा।
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नियुक्ति या चयन में किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा।
अनुच्छेद 16(2): भेदभाव पर रोक
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धर्म, जाति, वंश, लिंग, जन्मस्थान, निवास आदि के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
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सरकारी नौकरी में समान व्यवहार होगा।
अनुच्छेद 16(3): निवास से संबंधित विशेष प्रावधान
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संसद कानून बनाकर यह तय कर सकती है कि कुछ नौकरियों के लिए निवास (residence) की शर्त लगाई जा सकती है।
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जैसे किसी राज्य की स्थानीय नौकरियों में निवास की प्राथमिकता दी जा सकती है।
अनुच्छेद 16(4): पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण
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जो वर्ग सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं, उनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जा सकता है ताकि उन्हें समान अवसर मिल सके।
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यह आरक्षण उन वर्गों के उत्थान के लिए जरूरी माना गया है।
अनुच्छेद 16(4A): पदोन्नति (Promotion) में आरक्षण
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यदि आवश्यक हो तो अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए पदोन्नति में आरक्षण दिया जा सकता है ताकि वे उच्च पदों पर पहुँच सकें।
अनुच्छेद 16(4B): आरक्षित रिक्तियों का समायोजन
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यदि आरक्षित पदों की भरती नहीं हो पाई हो तो उन्हें अगले वर्षों में समायोजित (carry forward) किया जा सकता है ताकि आरक्षण का लाभ पूरा मिल सके।
अनुच्छेद 16(5): धार्मिक संस्थानों में नियुक्ति
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धार्मिक या धार्मिक प्रबंधन से जुड़ी संस्थाओं में नियुक्ति के लिए विशेष नियम बनाए जा सकते हैं, जहाँ किसी विशेष धर्म या पंथ के अनुयायियों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
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अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत।*
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अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत।*
इस अनुच्छेद में मुख्य बिंदु हैं:
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राज्य किसी नागरिक को कोई उपाधि (Title) नहीं देगा, सिवाय उन उपाधियों के जो सेना, शिक्षा, या वैज्ञानिक उपलब्धियों के आधार पर दी जाती हैं। जैसे – “डॉ.”, “कर्नल”, “प्रोफेसर” आदि।
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कोई भी व्यक्ति विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा, जब तक कि सरकार इसकी अनुमति न दे।
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यह अनुच्छेद सामाजिक समानता बनाए रखने के लिए बनाया गया है ताकि उपाधियों के आधार पर किसी में श्रेष्ठता या हीनता की भावना न उत्पन्न हो।
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अनुच्छेद 19 – स्वतंत्रता का अधिकार (6 स्वतंत्रताएँ)।*
भारत के नागरिकों को निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ दी गई हैं (जो कानून द्वारा उचित प्रतिबंधों के साथ लागू की जा सकती हैं):
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वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
– लोग अपने विचार और मत खुलकर व्यक्त कर सकते हैं। -
शांतिपूर्वक और बिना हथियार के इकट्ठा होने की स्वतंत्रता
– सार्वजनिक सभाएँ, प्रदर्शन आदि आयोजित किए जा सकते हैं। -
संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता
– यूनियन, पार्टी या संगठन बनाकर काम कर सकते हैं। -
देश के भीतर कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता
– देश में कहीं भी यात्रा कर सकते हैं। -
देश में कहीं भी बसने और रहने की स्वतंत्रता
– कोई भी नागरिक भारत के किसी भी भाग में निवास कर सकता है। -
किसी भी पेशे को अपनाने और व्यापार/धंधा करने की स्वतंत्रता
– कोई भी काम या व्यापार करने की अनुमति है, बशर्ते कानून का पालन करें।
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अनुच्छेद 20 – अपराधों के लिए संरक्षण।*
अनुच्छेद 20 में दिए गए अधिकार:
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पूर्वव्यापी दंड से सुरक्षा (Protection against Ex Post Facto Law):
– कोई व्यक्ति ऐसे कानून के आधार पर दंडित नहीं होगा जो उसके द्वारा अपराध किए जाने के बाद बनाया गया हो।
– यानी कानून बनने से पहले किए गए काम के लिए बाद में दंड नहीं दिया जा सकता। -
द्वितीय दंड से सुरक्षा (Protection against Double Jeopardy):
– किसी अपराध के लिए एक ही व्यक्ति को दो बार दंडित नहीं किया जा सकता।
– यदि किसी मामले में न्याय हो चुका है तो उसी अपराध के लिए फिर से मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। -
स्वयं के खिलाफ गवाही देने से सुरक्षा (Protection against Self-Incrimination):
– किसी आरोपी को अपने खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
– उसे चुप रहने का अधिकार है और पुलिस उसे मजबूर नहीं कर सकती।
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अनुच्छेद 21 – जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार।*
21A. अनुच्छेद 21A – शिक्षा का अधिकार (6-14 वर्ष तक)।* -
अनुच्छेद 22 – गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण।*
अनुच्छेद 22 में दिए गए अधिकार:
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गिरफ्तारी के कारण की जानकारी का अधिकार:
– किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर उसे तुरंत यह बताना आवश्यक है कि उसे किस अपराध के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। -
वकील से सलाह लेने का अधिकार:
– गिरफ्तार व्यक्ति को अपने पसंद के वकील से मिलने और कानूनी मदद लेने का अधिकार है। -
न्यायालय में पेश किए जाने का अधिकार:
– गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना आवश्यक है। -
अनिश्चितकालीन हिरासत पर रोक:
– किसी व्यक्ति को बिना सुनवाई और न्याय प्रक्रिया के लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। -
निवारक हिरासत (Preventive Detention):
– कुछ विशेष मामलों में, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक शांति आदि के लिए, सरकार किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए एक निर्धारित समय तक हिरासत में रख सकती है।
– लेकिन इसके लिए कानून द्वारा नियम तय किए गए हैं और न्यायिक समीक्षा संभव है।
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अनुच्छेद 23 – मानव तस्करी व बंधुआ मज़दूरी निषेध।*
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अनुच्छेद 24 – बाल श्रम निषेध (14 वर्ष से कम)।*
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अनुच्छेद 25 – धर्म की स्वतंत्रता।*
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अनुच्छेद 26 – धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन।*
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अनुच्छेद 27 – धार्मिक कार्य हेतु कर से छूट।*
अनुच्छेद 27 का अर्थ:
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कोई भी नागरिक धार्मिक गतिविधियों के लिए कर चुकाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
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सरकार कर केवल सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए ले सकती है, न कि किसी एक धर्म को बढ़ावा देने के लिए।
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यह धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता (Secularism) की रक्षा करता है।
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प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है, लेकिन कर प्रणाली निष्पक्ष और तटस्थ होनी चाहिए।
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अनुच्छेद 28 – शिक्षा संस्थानों में धार्मिक शिक्षा।*
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अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक समुदाय के सांस्कृतिक अधिकार।*
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अनुच्छेद 30 – अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार।*
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अनुच्छेद 31 – संपत्ति का अधिकार (अब मौलिक अधिकार नहीं है)।*
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अनुच्छेद 32 – संवैधानिक उपचार (रिट का अधिकार)।*
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अनुच्छेद 33 – संसद सशस्त्र बलों के अधिकार सीमित कर सकती है।*
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अनुच्छेद 34 – आपात स्थिति में मौलिक अधिकार सीमित।*
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अनुच्छेद 35 – संसद द्वारा विशेष कानून बनाने का प्रावधान।*
भाग 4 – राज्य के नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36 से 51)
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अनुच्छेद 36 – नीति निदेशक तत्वों की परिभाषा।*
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अनुच्छेद 37 – नीति निदेशक तत्व न्यायालय द्वारा बाध्यकारी नहीं।*
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अनुच्छेद 38 – राज्य सामाजिक न्याय स्थापित करेगा।*
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अनुच्छेद 39 – समान नागरिक संहिता, समान वेतन आदि।*
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अनुच्छेद 40 – पंचायतों की स्थापना।*
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अनुच्छेद 41 – काम, शिक्षा व सार्वजनिक सहायता का अधिकार।*
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अनुच्छेद 42 – मानवीय कार्य स्थिति व प्रसूति लाभ।*
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अनुच्छेद 43 – श्रमिकों को उचित जीवन स्तर।*
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अनुच्छेद 44 – समान नागरिक संहिता।*
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अनुच्छेद 45 – प्रारंभिक शिक्षा (अब 14 वर्ष तक)।*
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अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जाति/जनजाति का उन्नयन।*
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अनुच्छेद 47 – पोषण व नशा निषेध।*
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अनुच्छेद 48 –
अनुच्छेद 48 में दिए गए मुख्य बिंदु:
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कृषि और पशुपालन को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा देना:
– राज्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर खेती और पशुपालन को बेहतर बनाएगा। -
कृषि का संगठन:
– खेतों का उचित उपयोग, उत्पादन बढ़ाने के लिए योजनाएँ बनाई जाएँगी। -
गाय, बछड़े और अन्य दुग्ध उत्पादन में उपयोगी पशुओं की रक्षा:
– गौवंश (गाय, बैल, बछड़े आदि) की हत्या रोकने और उनकी रक्षा के लिए कानून बनाए जाएँगे। -
पशुधन की नस्ल सुधार और संरक्षण:
– पशुओं की अच्छी नस्लें विकसित करने और उन्हें स्वस्थ रखने के प्रयास किए जाएँगे।
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अनुच्छेद 49 – स्मारकों की सुरक्षा।*
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अनुच्छेद 50 – न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करना।*
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अनुच्छेद 51 – अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना।*
भाग 4A – मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A)
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संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
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स्वतंत्रता संग्राम के उन उच्च आदर्शों को आदर दे और उनका पालन करे जिन्होंने हमारी राष्ट्रीय स्वतंत्रता को प्राप्त कराया।
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भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण बनाए रखे।
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देश की रक्षा करे और जब भी राष्ट्रीय सेवा के लिए बुलाया जाए, तत्पर रहे।
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भारत के सभी लोगों में सद्भाव और भ्रातृत्व की भावना विकसित करे, जिससे स्त्रियों की गरिमा का हनन न हो।
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हमारी समृद्ध संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का आदर करे और उसे बनाए रखे।
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प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन करे – जिसमें वन, झील, नदी और वन्य जीव शामिल हैं – तथा सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा रखे।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना विकसित करे।
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सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करे और हिंसा से दूर रहे।
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व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर बढ़े, ताकि राष्ट्र निरंतर उच्च स्तर की उपलब्धियों और प्रयत्नों की ओर अग्रसर हो सके।
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(86वें संशोधन, 2002 द्वारा जोड़ा गया) – 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा दिलाना माता-पिता या अभिभावक का कर्तव्य होगा।
अनुच्छेद 51A – नागरिकों के मौलिक कर्तव्य।
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भाग 5 – केंद्र सरकार
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 52 से 73)
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अनुच्छेद 52 – राष्ट्रपति का पद।*
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अनुच्छेद 53 – राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्ति।*
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अनुच्छेद 54 – राष्ट्रपति का चुनाव।*
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अनुच्छेद 56 – राष्ट्रपति का कार्यकाल।*
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अनुच्छेद 57 – पुनर्निर्वाचन।*
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अनुच्छेद 58 – राष्ट्रपति बनने की योग्यता।*
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अनुच्छेद 59 – राष्ट्रपति के कर्तव्य व वेतन।*
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अनुच्छेद 60 – राष्ट्रपति की शपथ।*
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अनुच्छेद 61 – राष्ट्रपति का महाभियोग।*
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अनुच्छेद 62 – रिक्ति पर चुनाव।*
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अनुच्छेद 63 – उपराष्ट्रपति का पद।*
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अनुच्छेद 64 – उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति।*
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अनुच्छेद 65 – राष्ट्रपति अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यभार संभालेगा।
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अनुच्छेद 66 – उपराष्ट्रपति का चुनाव।
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अनुच्छेद 67 – उपराष्ट्रपति का कार्यकाल।
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अनुच्छेद 68 – रिक्ति पर उपराष्ट्रपति चुनाव।
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अनुच्छेद 69 – उपराष्ट्रपति की शपथ।
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अनुच्छेद 70 – राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन।
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अनुच्छेद 71 – राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति चुनाव विवाद।
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अनुच्छेद 72 – राष्ट्रपति की क्षमा शक्ति।
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अनुच्छेद 73 – संघ की कार्यपालिका शक्ति।
संसद (अनुच्छेद 74 से 100)
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अनुच्छेद 74 – मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को परामर्श देगी।
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अनुच्छेद 75 – प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद।
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अनुच्छेद 76 – अटॉर्नी जनरल।
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अनुच्छेद 77 – भारत सरकार के कार्य।
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अनुच्छेद 78 – राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री के कर्तव्य।
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अनुच्छेद 79 – संसद की संरचना (राष्ट्रपति, राज्यसभा, लोकसभा)।
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अनुच्छेद 80 – राज्यसभा की संरचना।
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अनुच्छेद 81 – लोकसभा की संरचना।
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अनुच्छेद 82 – जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन।
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अनुच्छेद 83 – संसद का कार्यकाल।
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अनुच्छेद 84 – संसद सदस्य बनने की योग्यता।
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अनुच्छेद 85 – संसद का अधिवेशन।
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अनुच्छेद 86 – राष्ट्रपति संसद को संबोधित करेगा।
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अनुच्छेद 87 – राष्ट्रपति का विशेष संबोधन।
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अनुच्छेद 88 – अटॉर्नी जनरल का संसद में अधिकार।
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अनुच्छेद 89 – राज्यसभा के सभापति और उपसभापति।
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अनुच्छेद 90 – राज्यसभा के उपसभापति को हटाना।
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अनुच्छेद 91 – उपसभापति की अनुपस्थिति में कार्यवाही।
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अनुच्छेद 92 – राज्यसभा की कार्यवाही।
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अनुच्छेद 93 – लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष।
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अनुच्छेद 94 – लोकसभा अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का त्यागपत्र/हटाना।
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अनुच्छेद 95 – अनुपस्थिति में कार्यवाही।
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अनुच्छेद 96 – विश्वास प्रस्ताव पर अध्यक्ष का मताधिकार।
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अनुच्छेद 97 – अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का वेतन।
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अनुच्छेद 98 – संसद सचिवालय।
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अनुच्छेद 99 – सांसद की शपथ।
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अनुच्छेद 100 – संसद में मतदान व निर्णय।
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